जैसा की हम जानते है की बनारस गंगा नदी के तट पर बसा हुआ एक प्राचीन शहर है। गंगा नदी के तट पर कई सरे घाट बने हुए है जिसे हम गंगा घाट के नाम से जानते है। सारे घाट अपने आप में एक दूसरे से भिन्न और विख्यात है। घाटों का नाम तथ्यों और कर्मो के हिसाब से रखा गया है जैसा की मुझे लगता है।
जैसा की हम जानते है बनारस भारत का एक बहुत ही धार्मिक स्थल है। भारत के कई ग्रंथों में व कई पुराणों में बनारस की व्याख्या की गई है। भारत के प्राचीन शहरों में भी बनारस को काशी के नाम से जाना जाता था। इस शहर में कई ऐसे जगह है जहां पर घूमना बहुत ही शुभ समझा जाता है इन्हीं में से एक है गंगा के घाटों का दर्शन। लोगों का मानना है कि अगर बनारस में गए तो कम से कम गँगा घाट में एक बार डुबकी लगानी चाहिए। लोग ऐसा मानते हैं कि गँगा घाट में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं।
हम आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि बनारस में कुल मिलाकर 88 घाट है जो गंगा के किनारे हैं। लगभग सारे घाट को नहाने व पूजा के कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन 88 घाट में से 2 घाटों को शमशान के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। यानी की कहने का मतलब यह है कि गंगा घाट में 88 घाट है जिनमें 86 घाट में लोग नहाते हैं और पूजा की तैयारी करते हैं और 2 घाट में मुर्दे जलाए जाते हैं और उसे श्मशान के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। वाराणसी के सभी घाटों का निर्माण तो बहुत ही पहले हो चुका था लेकिन 1700 ईस्वी में जब वाराणसी शहर पर मराठा राज्य का हुक्म चल रहा था उस वक्त मराठा साम्राज्य के राजा ने बनारस के गंगा घाट के सभी घाटों का पुनर्निर्माण कराया था।
गंगा घाट क्या है? (What is Ganga Ghat)
गंगा घाट, बनारस में गंगा नदी के किनारे बने हुए घाटों को हम गंगा घाट के रूप में जानते है।
गंगा घाट के कुछ प्रसिद्ध घाट (Some Famous Ghats of Ganga)
हम आपको बता दें कि Ganges Ghat के लगभग सभी घाट प्रसिद्ध है और सभी घाटों का अलग-अलग अपना एक महत्व है। सभी घाटों कि अलग-अलग परंपरा है। इतने से दो घाट ऐसे हैं जो काफी ज्यादा प्रसिद्ध है और इस घाट में लोग अपने वरदान को पूरा करने के लिए भी जाते हैं।
उन दोनों घाटों में से एक घाट का नाम है तुलसी घाट। जिसकी यह प्राथमिकता है और यह मान्यता है की जिस औरत का शादी होने के बाद भी बच्चा नहीं हो रहा है वह औरत अगर तुलसी घाट में जाकर स्नान करती है और वहां पर उपस्थित सूर्यदेव के मंदिर में जल अर्पण करती है तो वह औरत मां बन जाएगी। इसलिए वहां पर कई ऐसी औरतें हर वक्त आती रहती है जो शादी के बाद भी बहुत दिनों तक मां नहीं बन पाती हैं।
दूसरे घाट का नाम है मणिकर्णिका। इस घाट की प्रसिद्ध में दो कारणों को माना जाता है। लोगों का मानना एवं कहना है कि भगवान विष्णु ने अपने चक्र से एक गड्ढा खोदा था और उस गड्ढे में बैठकर तपस्या किया करते थे। उनके तपस्या से और मेहनत के कारण उनके शरीर से निकली पसीने से वह गड्ढा भर गया और उसे मणिकर्णिका घाट का नाम दिया गया। दूसरा कारण यह है कि लोग कहते हैं कि महाराजा हरिश्चंद्र जी ने अपने दास को यह घाट दान कर दी था। इस घाट में मुर्दे जलाने के लिए ले जाया जाता है और इस घाट में मरे हुए आदमी की अंतिम संस्कार की जाती है।
इनमें सबसे मुख्य घाट कौन सा है? (Which is the Main Ghat Among of Ganga)
वैसे अगर देखा जाए तो गंगा के किनारे की सभी घाटों की प्राथमिकता अपने-अपने जगहों पर अलग-अलग है। लेकिन इनमें से सबसे मुख्य घाट का नाम दश्वाश्वेंध घाट है।
गंगा घाट का निर्माण किसने कराया था? (Who built Ganga Ghat)
हम आपको बता दें कि इस घाट का निर्माण बनारस के नगर निगम ने किया था। बनारस की नगर निगम की ही द्वारा गंगा घाट का निर्माण किया गया था।
गंगा के किनारे कितने घाट है? (How many Ghats are there on the banks of the River Ganges)
हम आपको बता दे कि गंगा घाट गंगा के किनारे स्थित है और इस घाट में 88 घाट है। सभी घाट अलग-अलग है और सभी घाटों कि अपनी अपनी अलग पहचान है।
Conclusion
दोस्तो आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से गंगा घाट के बारे में बताया और साथ में गंगा घाट के अंदर उपस्थिति दो प्रसिद्ध घाटों के बारे में व्याख्या की गई है। जिसमें एक घाट का नाम तुलसी घाट और दूसरे घाट का नाम मणिकर्णिका है। तो उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा और इसमें दी गई सारी जानकारी आपको अच्छे से समझ में आ गई होगी।
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